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सम्मेद शिखर के मुद्दे पर विरोध-प्रदर्शन के बीच केंद्र सरकार ने बड़ा फै़सला लिया है. झारखंड के पारसनाथ स्थित जैन तीर्थ स्थल सम्मेद शिखर पर पर्यटन और इको टूरिज्म एक्टिविटी पर रोक लगा दी गई है.

  केंद्र सरकार ने गुरुवार को तीन साल पहले जारी अपना आदेश वापस ले लिया. केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की ओर से गुरुवार को जारी नोटिफिकेशन में सभी पर्यटन और इको टूरिज्म एक्टिविटी पर रोक लगाने के निर्देश दिए गए हैं.इसके अलावा केंद्र सरकार ने एक समिति बनाई है. इसमें जैन समुदाय के दो और स्थानीय जनजातीय समुदाय के एक सदस्य को शामिल किया जाएगा.केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने गुरुवार को दिल्ली में जैन समाज के प्रतिनिधियों से मीटिंग की. इसके बाद यादव ने कहा, ''जैन समाज को आश्वासन दिया गया है कि पीएम नरेंद्र मोदी जी की सरकार सम्मेद शिखर सहित जैन समाज के सभी धार्मिक स्थलों पर उनके अधिकारों की रक्षा और संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है.''इससे पहले गुरुवार को ही झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने इस पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा था. दरअसल झारखंड सरकार श्री सम्मेद शिखर जी यानि पार्श्वनाथ (पारसनाथ) पर्वत को धार्मिक पर्यटन क्षेत्र घोषित करने पर विचार कर रही थी. इसके पीछे उसका मकसद ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देना था. सीएम हेमंत सोरेन के निर्देश पर पारसनाथ के अलावा देवघर, रजरप्प...

विरोध का वक्त

  इस फैसले को वापस लिए जाने से पहले बीबीसी से बातचीत में गिरिडीह के ज़िलाधिकारी नमन प्रियेश लकड़ा ने बीबीसी से कहा था, "हाल में एक फ़ोटो-वीडियो वायरल हुआ था यहां युवक पिकनिक मना रहे थे और फुटहिल्स में चिकन बनाया गया था. इसे हमने वेरिफाई किया और पाया कि यह पिछले साल का है. हमारे पास जांच के लिए वही फ़ोटो हर जगह से घूम कर आ रहा है. लेकिन स्थानीय समितियों की तरफ़ से इसकी कोई शिकायत नहीं आई है. यहां कुछ ऐसी बात नहीं है, बाहर प्रदर्शन हो रहे हैं." नमन एक और बात की ओर इशारा किया. उन्होंने कहा, "बीते साल अक्टूबर माह में इस पूरे स्थल के विकास के लिए पारसनाथ पर्यटन विकास प्राधिकार का गठन किए जाने को लेकर कुछ दिन पहले एक बैठक बुलाई गई थी. इस कमेटी में इसमें छह बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर होने थे. जिसमें दो दिगंबर जैन समुदाय से, दो श्वेतांबर जैन से और दो लोकल ट्राइबल कम्यूनिटी से. यहां प्राधिकार में पर्यटन शब्द को लेकर शायद आपत्ति हो, इसके बाद विवाद सामने आया है." वहीं मधुबन बाजार के कपड़ा व्यवसायी पिंटू कुमार हाल में घटी एक घटना का ज़िक्र किया. उन्होंने बताया "बीते 28 दिसंबर को ...

पर्यटन क्षेत्र क्यों घोषित करना चाहती थी सरकार

  2 अगस्त 2019 को इस संबंध में 32 पेज का एक नोटिफिकेशन जारी किया था. राज्य के पर्यटन मंत्री हफिजुल हसन ने बीबीसी से कहा था, "ये हेमंत सरकार का निर्णय नहीं है. पूर्व की रघुवर सरकार में इस इलाके को पर्यटन क्षेत्र घोषित करने संबंधित मांगपत्र केंद्र सरकार को सौंपा गया था. जिसके बाद केंद्र सरकार ने इसे इको टूरिज्म क्षेत्र घोषित किया." गिरिडीह के विधायक और जेएमएम के महासचिव सुदिव्य कुमार सोनू का कहना था, '' सरकार के पर्यटन क्षेत्र घोषित करने का उद्देश्य साफ़ है, इन इलाकों में नागरिक सुविधाओं में बढ़ोत्तरी करना. साथ ही स्थानीय लोगों को और अधिक मात्रा में रोजगार मुहैया कराना." सुदिव्य कुमार ने कहा, "जैन समाज का एक डेलिगेशन सीएम से मिलने आया था. उस वक्त मैं भी वहां मौजूद था. उनका कहना था कि पर्यटन के बजाय इसे धार्मिक पर्यटन स्थल घोषित किया जाए. शायद इसलिए कि उनकी जो धार्मिक आस्था है, वो अक्षुण्ण

पूरे क्षेत्र पर अधिकार?

  उनका कहना था, " जैन इस क्षेत्र पर अधिकार नहीं चाहते, हम बस पवित्रता बनाए रखने की मांग कर रहे हैं. प्रमुख मांगें ये है कि पवित्र तीर्थस्थल के साथ इसे अहिंसक क्षेत्र बनाया जाए. तीर्थाटन के लिहाज़ से जो सुविधाएं चाहिए, वो किया जाए." पीरटांड प्रखंड के पूर्व प्रमुख सिकंदर हेम्ब्रम के मुताबिक मधुबन में लगभग 100 जैन मतदाता हैं. पूरा इलाका संथाल आदिवासी और दलितों का है. सम्मेद शिखर जाने के रास्ते में आदिवासियों के दो पूजा स्थल हैं. जिन्हें जाहेरथान के नाम से जाना जाता है. आदिवासियों की संस्कृति में बलि प्रथा को मान्यता मिली हुई है.

देश भर में हो रहा था सरकार के फैसले का विरोध

  फैसला वापस लेने से पहले पूरा मामला जानने के लिए बीबीसी पारसनाथ स्थित इस तीर्थ स्थल तक पहुंचा था. बीबीसी के दौरे के वक्त गिरिडीह ज़िले के मधुबन थाने इलाके में स्थित पारसनाथ पहाड़ी के निचले हिस्से में गुणायतन मंदिर का निर्माण कार्य बीते दस सालों से चल रहा था. मंगलवार शाम को परिसर में शाम सात बजे बड़ी संख्या में श्रद्धालु मुनीश्री प्रमाणसागर जी महाराज से मिलने पहुंचे थे. हर दिन की तरह शंका समाधान नामक सत्र चल रहा था. यहां के एक श्रद्धालु ने उनसे सरकार के निर्णय और उसको लेकर बन रही रणनीति पर उनकी राय जानने को लेकर सवाल किया. जवाब में उन्होंने कहा था, ''सम्मेद शिखर जी की पवित्रता को बनाए रखने के लिए हरसंभव प्रयास किए जाएंगे. जब तक सरकार इस फ़ैसले को रद्द नहीं करती है और इसकी लिखित सूचना हमें नहीं मिलती है, हम विरोध करते रहेंगे.'' सत्र के बाद बीबीसी से बात करते हुए प्रमाणसागर जी महाराज ने बताया , "सम्मेद शिखर जी जैनों का पवित्र स्थल है. इस क्षेत्र को लेकर साल 2019 में एक गजट नोटिफिकेशन निकला जिसके आधार पर इसे इको टूरिज्म क्षेत्र घोषित करने की बात कही गई." उनका कहन...

झारखंड: जैन तीर्थ सम्मेद शिखर अब नहीं बनेगा पर्यटन स्थल, देश भर में प्रदर्शन के बाद फै़सला वापस

  सम्मेद शिखर के मुद्दे पर विरोध-प्रदर्शन के बीच केंद्र सरकार ने बड़ा फै़सला लिया है. झारखंड के पारसनाथ स्थित जैन तीर्थ स्थल सम्मेद शिखर पर पर्यटन और इको टूरिज्म एक्टिविटी पर रोक लगा दी गई है. केंद्र सरकार ने गुरुवार को तीन साल पहले जारी अपना आदेश वापस ले लिया. केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की ओर से गुरुवार को जारी नोटिफिकेशन में सभी पर्यटन और इको टूरिज्म एक्टिविटी पर रोक लगाने के निर्देश दिए गए हैं.इसके अलावा केंद्र सरकार ने एक समिति बनाई है. इसमें जैन समुदाय के दो और स्थानीय जनजातीय समुदाय के एक सदस्य को शामिल किया जाएगा.केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने गुरुवार को दिल्ली में जैन समाज के प्रतिनिधियों से मीटिंग की. इसके बाद यादव ने कहा, ''जैन समाज को आश्वासन दिया गया है कि पीएम नरेंद्र मोदी जी की सरकार सम्मेद शिखर सहित जैन समाज के सभी धार्मिक स्थलों पर उनके अधिकारों की रक्षा और संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है.''इससे पहले गुरुवार को ही झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने इस पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा था. दरअसल झारखंड सरकार श्री सम्मेद शिखर जी यानि पार्श्वन...

श्रीलंका में भूख से कई बच्चे स्कूल की प्रार्थना में हो जा रहे हैं बेहोश ' इशारा डानासेकरा और टॉम डोंकिन बीबीसी वर्ल्ड सर्विस 6 घंटे पहले श्रीलंका आर्थिक संकट स्कूल शिक्षाइमेज स्रोत,MANENDRA इमेज कैप्शन, मल्कि स्कूल तो आ गई, लेकिन पीछे छूट गए 4 भाई-बहन 10 साल की मल्कि स्कूल जाने के लिए जग चुकी हैं. लेकिन अभी बिस्तर में ही पड़ी रहना चाहती हैं. वो अपनी दो बहनों और दो भाइयों से एक घंटा पहले ही जग चुकी हैं ताकि स्कूल जाने से पहले नाखूनों पर लगी लाल पॉलिस छुड़ा सकें. मल्कि का स्कूल में आज पहला दिन है. वह चाहती हैं स्कूल में उसे कोई नोटिस नहीं करे. उनके चार भाई बहन आज स्कूल नहीं जा पाएंगे. उनका परिवार सिर्फ़ एक ही बच्चे के स्कूल का खर्च वहन कर सकता है . छह महीने पहले श्रीलंका में आज़ादी के बाद से सबसे गंभीर आर्थिक संकट की वजह से अफरा-तफरी मची हुई थी. हालांकि कुछ दिनों में सबकुछ शांत सा दिखने लगा. लेकिन आज कई परिवारों पर बेरोज़गारी और महंगाई की मार साफ़ दिखती

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  श्रीलंका में भूख से कई बच्चे स्कूल की प्रार्थना में हो जा रहे हैं बेहोश ' इमेज स्रोत, MANENDRA इमेज कैप्शन, मल्कि स्कूल तो आ गई, लेकिन पीछे छूट गए 4 भाई-बहन 110 साल की मल्कि स्कूल जाने के लिए जग चुकी हैं. लेकिन अभी बिस्तर में ही पड़ी रहना चाहती हैं. वो अपनी दो बहनों और दो भाइयों से एक घंटा पहले ही जग चुकी हैं ताकि स्कूल जाने से पहले नाखूनों पर लगी लाल पॉलिस छुड़ा सकें.  ऐसे बदहाल परिवारों में से एक है मल्कि का परिवार. मल्कि की माँ प्रियांतिका को अपने बच्चों की पढ़ाई बीच में रोकनी पड़ी ताकि वो पटाखे बेचकर कुछ पैसे कमा सकें. महंगाई की मार झेल रहे श्रीलंका में खाद्य सामग्रियों की क़ीमतें आसमान छू रही हैं. महंगाई दर यहाँ 95% तक पहुँच चुकी है. मल्कि के परिवार को कई दिन भूखे सोना पड़ता है. हालांकि श्रीलंका में स्कूल की पढ़ाई मुफ़्त है लेकिन यहाँ खाना नहीं मिलता. अगर यूनिफॉर्म और स्कूल बस का ही खर्च जोड़ दें तो ये प्रियांतिका के लिए वहन करना मुश्किल है. अर्जेंटीना से श्रीलंका तक, आख़िर क्या होता है मुल्क का दिवालिया होना श्रीलंका: कैसा होता है दिवालिया हो चुके किसी देश में रहना? श्...